जानिए हिन्दू इंटर कालेज के आगे हिंदू शब्द किसके प्रेरणा से लगा

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मुंगराबादशाहपुर, मुंगराबादशाहपुर की धरती ने सन् 1898 में एक ऐसा लाल पैदा किया था जिसका सर्वविदित नाम यमुना प्रसाद गुप्त था। कुछ लोग कार्य से महान होते है, कुछ जन्म से महान होते हैं और कुछ पर महानता थोप दी जाती है ‌।

 

इसमें स्व यमुना प्रसाद गुप्त प्रथम कोटि में आने वाले महामानव थे।इन्हे महामना मदनमोहन मालवीय का आर्शीवाद प्राप्त था। उन्हीं के सानिध्य में रहने के कारण तथा उन्हीं के प्रेरणा से उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के तर्ज पर हिंदू इंटर कालेज के आगे हिंदू शब्द को जोड़ कर मुंगराबादशाहपुर के गौरव को बढ़ा दिया है।इसी वजह से श्री गुप्त जी को क्षेत्र के मदनमोहन मालवीय कहा जाने लगा है।

 

उनके नम्र निवेदन पर विद्यालय में 5 फरवरी 1937 में मदनमोहन मालवीय जी का आगमन हुआ था। उन्हीं के प्रेरणा से वे बहुत दिनों से हिंदू महासभा के सेक्रेटरी पद पर आसीन रहे।      श्री गुप्त जी बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न एवं चुम्बकीय व्यक्तित्व से आभूषित थे। यहीं वजह है कि चौबीस वर्ष की अवस्था में ही मुंगरा नगर वासियों के आर्शीवाद व आग्रह पर आपने तत्कालीन नोटीफाइड एरिया के अध्यक्ष पद को वरण किया।

 

 

परिस्थितियों से जूझने वाले कर्मयोगी श्री गुप्त जी ने कुल तीन बार क्रमशः 1929,1932 व1953 में नोटीफाइड एरिया के अध्यक्ष पद को अलंकृत किया।उनका नोटीफाइड एरिया का अध्यक्षीय कार्यकाल बहुत ही सफल एवं अविस्मरणीय रहा। अपने बलवती दृढ़ संकल्प के बल पर उन्होंने पच्चीस वर्ष की अवस्था में हिंदू इंटर कालेज का जन्म दिया था।जिसके संस्थापक श्रीगुप्त जी  आजीवन प्रबंधक रहे। 1971 में वे एक तारीख बनकर इस दुनिया से अलविदा हो गए ।

 

 

ऐसे कम लोग ही इस दुनिया में पैदा होते है जो मरने के बाद भी याद किए जाते है ‌। जैसे संस्थापक यमुना प्रसाद गुप्त जी मरने के बाद भी याद किए जा रहे है। ‌ उनका संस्थापकीय एवं प्रबंधकीय कार्यकाल बड़ा ही गौरव पूर्ण एवं उदाहरणीय रहा। जिस प्रकार देश के गद्दार राजाओं ने धोखा न दिया होता तो 1857 में ही वीरांगना लक्ष्मीबाई द्धारा अंग्रेजों भगाओं अभियान सफल हो जाता। उसी प्रकार हिंदू इंटर कालेज को कुछ जनप्रतिनिधियों की अनदेखी व संरक्षण के कारण आज भी वह गुलामी में जकड़ा हुआ है।सराय डिगुर निवासी ठाकुर कृष्ण प्रताप सिंह उर्फ लुल्लुर सिंह ने बताया है  कि जब नगर सहित आसपास के क्षेत्र में हैजा की बिमारी बहुत तेज फैला हुआ था।इसके भय से लोग घरों में कैद हुए थे।शव को ले जाने के लिए कोई खास साधन भी नही था।तब श्री गुप्त जी ने टाली से शव को झूंसी भेजवाने का काम किया है। मलेट्रेरी से रिटायर्ड मुंगरा निवासी राम अचल मिश्रा ने बताया है कि झूंसी की एक जनसभा में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ यमुना प्रसाद गुप्त जी भी थे। मंच के संचालक को श्री पंडित जी ने पहले श्री गुप्त जी को उद्बोधन के लिए बुलवाया था।

 

 

पंडित जी ने उनके भाषण की मंच से तारीफ भी किया था।बड़ी विडम्बना इस बात का है कि इतिहास पुरुष, प्रखर समाज सेवी व देशानुरागी यमुना प्रसाद गुप्त जी की बगिया गौशाला जिसको नगर पालिका को दान में दिया था।पता नहीं क्यों उसे बचाने में जनप्रतिनिधि भी असक्षम साबित हो रहें हैं। यह वह खुद बताएं। लोगों का मत है कि चुनाव प्रचार में निकले प्रत्याशियों को विकास का वादा करने के साथ पवित्र गौशाला की जमीन को हड़पने में किए गए विनाशकारी कुकर्म का भी जिक्र करना चाहिए।

 

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