करछना विद्युत उपकेंद्र में बिजली की मनमानी कटौती से ग्रामीण परेशान

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अमन की शान करछना( प्रयागराज )
विद्युत उपकेंद्र करछना के कर्मचारियों की तानाशाही के कारण पिछले कई दिनों से बिजली आपूर्ति बार-बार जानबूझकर बाधित की जा रही है | बिजली की आवाजाही का खेल पूरे दिन भर जारी रहता है और उप केंद्र पर तैनात कर्मचारी कुंभकर्णी निद्रा में सोते रहते हैं | पिछले कई वर्षों से यहां तैनात कुछ स्थानीय कर्मचारी जो आसपास के गांव के ही रहने वाले हैं अपनी कथित दबंगई के चलते किसी उपभोक्ता की बात नहीं सुनते यहां तक की कटौती के बारे में पूछने पर भी कोई सही उत्तर नहीं मिलता, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि वह जानबूझकर सरकार की नीतियों को बदनाम करने के लिए इस तरह की घिनौनी साजिश करते हैं |

 

 

कई बार उच्चाधिकारियों को भी इस संदर्भ में जानकारी दी गई किंतु उच्चाधिकारी भी अपने एसी कमरों से बाहर शायद नहीं निकलना चाहते | करछना विद्युत उपकेंद्र का ना तो कोई रोस्टर है ना कोई नियम कानून जब चाहते हैं बिजली काट देते हैं | शाम को भी कई बार ऐसी घिनौनी हरकत की जाती है | कभी-कभी तो रात में दर्जनों बार बिजली कटौती की जाती है और लोग बार-बार भाग कर घर से बाहर निकलने को मजबूर हो जाते हैं | कई बार इस संबंध में उपभोक्ताओं ने उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है |

 

 

 

इस तहसील में चाहे बिजली विभाग हो चाहे पुलिस विभाग हो अथवा तहसील कर्मी हों , राजस्व अथवा खाद्य आपूर्ति सब के सब अपनी धुन में मस्त है | पूरे कुएं में भांग पड़ी हुई है | तहसील की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है | आम आदमी को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है | जनप्रतिनिधि भी केवल झूठी वाहवाही लेकर अपने तथाकथित प्रचार में मस्त रहते हैं | जन समस्याओं से किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधि का कोई सरोकार नहीं है | पुलिस विभाग है कि अपराधियों को ही बचाने में अपना पूरा समय लगा देता है | दर्जनों घटनाओं में उसने जानबूझकर के लीपापोती की है | ग्रामीण क्षेत्र में अनेक जगहों पर विकास कार्यों में घोर अनियमितताएं हैं, किंतु कोई सुनने वाला नहीं है | बिजली विभाग का तो ईश्वर ही मालिक है | जब तब वह उपभोक्ताओं को धौंस भी देते रहते हैं ,और बार-बार अनुनय विनय के बाद भी न तो ढीले तारों की मरम्मत की जा रही है और ना बिजली आपूर्ति के बारे में कोई रोस्टर बनाया जा रहा है | धान की नर्सरी डालने का समय सिर पर आ गया है, किसान बहुत चिंतित हैं यदि उन्हें समय से बिजली ना मिली तो धान की रोपाई के बारे में उनका भविष्य क्या होगा या कोई नहीं बता सकता | इतनी घोर गर्मी और तपन के बीच आम आदमी बाग बगीचों की शरण लेने के लिए विवश है , किंतु वहां भी लू के थपेड़े से बीमारी का खतरा रहता है |

 

 

भरपूर विद्युत बिल देने के बाद भी उपभोक्ता बिजली सुख से वंचित रहता है और सरकार है कि बड़े-बड़े दावे करती रहती है विकास का थोथा ढिंढोरा पीटते रहती है |

 

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