सीजेएम के सख्त आदेश के बाद पुलिस ने दहेज हत्या का किया मुकदमा दर्ज

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पत्रकार इशरत हुसैन

जौनपुर। दहेज हत्या के एक मामले में कोतवाली पुलिस द्वारा न्यायालय के आदेश पर 1 माह बीत जाने के बाद भी न्यायालय का आदेश का पालन नहीं किया गया। इस संबंध में वादी के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में गुरुवार को दिए गए प्रार्थना पत्र पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा कोतवाल न्यायालय में प्रस्तुत होकर आख्या मांगी तब जाकर पुलिस ने मामला पंजीकृत किया है।

 

 

इसी कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला तारापुर निवासी चंदा बेगम पत्नी स्वर्गीय अनीस अहमद ने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था कि एक साल पूर्व उसने अपनी पुत्री नाजरीन की शादी सुल्तानपुर जनपद के शाहपुर थाना चांदा में किया था ससुराल के लोग नाजरीन को शादी के बाद से ही दहेज की मांग को लेकर विवाहिता को तरह.तरह से प्रताड़ित किया करते थें।

 

 

इसी बात से दुखी होकर विवाहिता अपने मायके चली आई। इसी बीच 14 मार्च 2023 को पति व ससुराल के कुछ लोग एक कार से उसके घर पर आएं और उसकी छोटी बहन से उसके बारे में पूछा तो उससे पता चला कि वह अपने बहन से मिलने कटघरा गई हुई है। जहां से ससुराल वाले पहुंच कर उसे जबरन ससुराल चांदा लेकर चले गएं। मायके पक्ष के लोगों ने यह समझ कर कोई कार्यवाही नहीं किया कि वह अपने ससुराल वालों के साथ ससुराल गई हुई है।

 

 

21 मार्च को दोपहर लगभग 12 जबे उसके ससुराल से यह सूचना आई कि उसकी तबियत बहुत ख़राब है। बेटी की बीमारी की ख़बर सुनकर जब मायके से कुछ लोगों उसके ससुराल पहुंचे तो देखा विवाहिता मृत अवस्था में पड़ी हुई थी। उसके मौत के बारे में जब मायके वालों ने पूछा तो उन्हें एक कमरे में बंद कर मारपीट कर कुछ सादे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवा लिया और विवाहिता की लाश को ज़बरदस्ती दफ़न करवा दिया। घर वालों को देर रात अंधेरे में लाकर लाइन बजार थाना क्षेत्र के शिवापार में छोड़ दिया। दूसरे दिन परिजनों द्वारा घटना की सूचना पुलिस के उच्च अधिकारियों को दी गई। लेकिन कोई कार्यवाही न हो पाने के कारण पीड़िता ने मुख्य न्यायिक दंडाअधिकारी के न्यायालय में अधिवक्ता मधुर श्रीवास्तव के माध्यम से दिया।

 

 

जिस पर न्यायालय ने 6 जून को कोतवाली पुलिस को आदेश दिया की एफआईआर तीन दिन के अंदर दर्ज कर विवेचना की जाए। लेकिन कोतवाली पुलिस ने न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर दिया। 15 दिन बीत जाने के बाद भी न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया। तब अधिवक्ता द्वारा पून न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। जिस पर न्यायालय ने दोबारा मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया। फिर भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। 6 जुलाई को अधिवक्ता द्वारा न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया जिस पर अदालत ने शहर कोतवाल को निर्देशित किया की व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थ्ति होकर अस्पस्टीकरण दें कि मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया गया। तब जाकर 7 जुलाई को अदालत के चले डंडे के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर कॉपी न्यायालय को भेज दिया।

 

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