बाजारों में लाई, चूड़ा की दुकानें हुई गुलजार

जेड हुसैन (बाबू)

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जौनपुर। मकर संक्रांति का पर्व नजदीक आ रहा हैं। इस पर्व पर परंपरा के रुप में प्रयोग किए जाने वाले लाई, चूड़ा, गुड़, ढुंढा, तिलवा आदि की मांग बढ़ गई है। इसको लेकर शहर सहित जिले भर के कसबों बाजारों में इनकी दुकानें सज गई है। हालांकि इस बार इनके भाव में भी तेजी आई है लेकिन फिर भी लोग अपनी क्षमता के अनुसार खरीददारी कर रहे हैं। मकर संक्रांति पर परंपरा के अनुसार चूरा, दही, ढुंढा, लाई, तिलवा, बादाम पट्टी, तिलकुट, आदि खाने तथा दान पुण्य किया जाता है। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को पड़ रहा है। इस पर्व को लेकर हर क्षेत्र में बाजार गुलजार हो गए हैं। शहर के विभिन्न बाजारों सहित जिले भर में विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्री बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। लाई तथा चूरा की कई वेराइटियां उपलब्ध है। इस बार प्लास्टिक के छोटे-बड़े पैकेटों में भी इसकी पैंकिंग की गई है। हल्के तथा मोटे दानों में उपलब्ध विभिन्न वेरायटियों की लाई की कीमत 45 से लेकर 50 रुपए प्रति किलो तक है। इसी प्रकार चूरा भी 40 से 50 रुपए प्रति किलो तक है। छोटे, बड़े तथा साफ दानों के गुड़ की कीमत भी 50 रुपए से लेकर 60 रुपए प्रति किलो तक है। तिलवा तथा तिलकुट आदि सामग्रियों की कीमत 70 रुपए से लेकर 130 रुपए के बीच है। इस समय दुकानों पर सुबह से लेकर देर शाम तक ग्राहकों की भीड़ जुट रही है ज्ञात हो कि खिचड़ी पर भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसके साथ ही खरमास समाप्त हो जाता है जिससे शुभ कार्य होने लगते हैं। हिंदू धर्म में इस पर्व को काफी महत्व दिया जाता है। इस पर्व पर नदियों में स्नान के बाद पंडितों को चूरा, लाई, चावल, गुड़, तिलवा आदि दान दिया जाता है। सुबह घरों में खिचड़ी खाई जाती है। घरों की बहू-बेटियों को भी उनके मायके या ससुराल में शगुन के रुप में खिचड़ी पहुंचाने की परंपरा है। इसमें लाई, चूरा, गुड़, ढुंढ़ा, साथ ही साड़ी, कपड़ा आदि दिया जाता है। इस समय शगुन पहुंचाने का काम शुरु हो गया है। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चूड़ा कूटने वालों के यहां लोगों की भीड़ लग रही है। इसमें धान को 24 घंटे भिगोया जाता है। फिर इसे भूंजने के बाद मशीन से कूटकर चूरा तैयार किया जाता है।

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