दहेज हत्या के मामले में हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकारी नगर से मांगा जवाब

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जौनपुर। दहेज हत्या के एक मामले में विवेचना में लापरवाही पर बरतनें के कारण विवेचक क्षेत्राधिकार नगर को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होकर लिखित जवाब मांगा है। वादिनी चंदा पत्नी स्वर्गीय अनीश अहमद निवासी तारापुर थाना कोतवाली ने न्यायालय के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज कराया है कि उसने अपनी पुत्री का विवाह मुस्लिम धर्म के रीति रिवाज से सुल्तानपुर जनपद के चंदा थाना क्षेत्र के ग्राम शाहपुर सलमान के साथ लगभग 2 वर्ष पूर्व किया था।

शादी के बाद से ही ससुराल के लोग उसकी पुत्री नाजरीन को दहेज में नगदी रुपए की मांग को लेकर तरह-तरह के प्रताड़ित करने के साथ मारा पीटा करते थे। ससुराली जनों की प्रताड़ना से तंग आकर विवाहिता महिला अपने मायके आ गई। उसके कुछ ही दिनों के बाद ससुराल वालो ने उसके घर पर जब वह अकेली थी आकर जबरदस्ती उसे गाड़ी में बैठकर लेकर चले गए। और तीसरे दिन की हत्या कर दिया और उसकी मां की सूचना दिया कि उसकी तबीयत खराब है जब मायके वाले पहुंचे तो देखा उसकी लाश पड़ी हुई है।

मयके पक्ष के लोगों ने जब चंदा पुलिस को सूचना देना चाहा तो इन्हें मारपीट कर एक कमरे में बंद कर सादे कागज पर हस्ताक्षर कर लिया। विवाहिता के मायके वाले ने आकर मामला दर्ज करना चाह तो पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने कोतवाली पुलिस को आदेश दिया की रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की जाए।

इसके बाद भी कोतवाली पुलिस न्यायालय के आदेश पर लगभग 3 महीने बाद मुकदमा पंजीकृत किया। जबकि न्यायालय का आदेश था कि 3 दिन के अंदर मुकदमा पंजीकृत किया जाए। लेकिन पुलिस ने न्यायालय के आदेश को भी ताख पर रख दिया था। फिर जब अदालत का डंडा चला तो पुलिस ने पति समेत आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 184 बटे 23 धारा 498 ए 304 323 504 506 आई पी सी तीन बटे चार दहेज प्रतिशोध निवारण अधिनियम एक्ट के तहत दर्ज कर विवेचना क्षेत्र अधिकारी नगर कुलदीप गुप्ता को दे दिया गया। विवेचना में पुलिस में ना तो लाश को समय से रहते कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम कराया और ना ही कार्रवाई आगे बढ़ाया।

वादिनी चंदा ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने लाश को सड गल जाने का काम किया है ताकि पोस्टमार्टम में हत्या किए जाने का सबूत मिल जाए और अभियुक्त को इसका पूरा लाभ मिल जाए। काफी दिन भी जाने के बाद वादिनी ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दाखिल किया।

उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विवेचक को 19 मार्च तक न्यायालय में उपस्थित होकर व्यक्तिगत रूप से की गई कार्रवाई से अवगत कराएंगे। जबकि इस घटना के विवेचक रहे कुलदीप गुप्ता का स्थानांतरण हो चुका है।

 

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