22 वर्षो के राजनैतिक सफर पर लगा विराम , अब देखे कौन सम्भालेगा धनंजय सिंह की विरासत

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जौनपुर। अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में सजा पाये पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह का करीब 22 वर्षो के राजनीतिक कैरियर पर लगाम लग गया है। अब वे आगामी लोकसभा चुनाव खुद नही लड़ पायेगें। पूर्व सांसद के जेल जाने के बाद आम चर्चा होने लगी है कि धनंजय अपनी राजनीतिक विरासत की बागडोर अपनी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला धनंजय सिंह को सौप सकते है।

2002 विधानसभा चुनाव में अचानक राजनीति में इण्ट्री लेने वाले धनंजय सिंह पहले चुनाव में कामयाबी हासिल कर लिया। उन्होने पुलिस की आंखों में धूल झोककर रारी विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामाकंन किया उसके बाद तत्कालीन एसपी डा0 केएस प्रताप कुमार को चकमा देकर गुपचुप तरीके से चुनाव प्रचार करके समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी श्रीराम यादव को पटखनी देकर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। पहले चुनाव में कामयाब होने के बाद धनंजय सिंह ने 2004 लोकसभा के चुनावी े दंगल में कुद पड़े यह चुनाव उन्होने कांग्रेस-लोक जनशक्ति पार्टी के गठबंधन से लड़े। यह चुनाव वे खुद तो जीत नही पाये लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी तत्कालीन गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद से अधिक वोट पाकर सबको चैका दिया।

2007 विधानसभा चुनाव में दूसरी बार फतेह करके विधायक बने। 2008 में धनंजय सिंह हाथी पर सवार हो गये तथा 2009 लोकसभा चुनाव बसपा से जीतकर दिल्ली पहुंच गये। खुद सांसद बनने के बाद धनंजय सिंह ने रारी से पिता राजदेव सिंह को बसपा से चुनाव लड़वाकर उन्हे विधायक बना दिया। लगातार मिल रही सफलता से धनंजय का राजनीतिक कद जिले ही नही बल्की पूर्वांचल में काफी बढ़ गया।

बसपा सुर्पिमों मायावती से किसी बात को लेकर धनंजय की अनबन हो गया। मायावती ने उन्हे जेल भेज दिया।

जेल रहते हुए सांसद धनंजय सिंह ने 2012 विधानसभा चुनाव में मल्हनी विधानसभा सीट पर अपनी दूसरी पत्नी डा0 जागृति सिंह को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार दिया इस चुनाव में डा0 जागृति सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव से बुरी तरह से हार गयी।

2014 लोकसभा चुनाव धनंजय सिंह खुद लड़े थे मोदी लहर के बाद भी उन्हे 64 हजार वोट मिला था।

2017 चुनाव में मल्हनी सीट पर एक बार फिर धनंजय सिंह पूरे दमखम के साथ उतरे इस चुनाव में सपा प्रत्याशी कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव ने उन्हे पटखनी देकर जीत हासिल किया। पारसनाथ के निधन के बाद 2020 में उप चुनाव हुआ। उपचुनाव में धनंजय सिंह पूरी ताकत के साथ लड़े लेकिन सपा प्रत्याशी  स्व0 पारसनाथ यादव के पुत्र लकी यादव ने पांच हजार वोटो के अंतर जीत दर्ज किया।

2022 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर एक फिर धनंजय सिंह और लकी यादव के बीच मुकाबला हुआ। इस बार भी धनंजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा।

2024 लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए धनंजय सिंह पूरे दमखम के साथ तैयार थे।

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