वफादारी की मिसाल है छोटे हज़रत(मौलाअब्बास)- प्रोफेसर डॉ अब्बास रज़ा नैय्यर जलालपुरी

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साहिल पर जो अब्बास से दिलावर नहीं आते एहसास में फिर प्यास के मंजर नहीं आते

जौनपुर। हुसैनिया इमामबाड़ा दक्पखिन पट्टी बबरखां में जश्ने बाबुल हवाएज का आयोजन किया गया जिसमें हिंदुस्तान के अलग-अलग शहरों से मशहूर शायर तशरीफ ले आएं महफिल का आगाज़ तरहीय कलाम पर शुरु किया गया जिसमें सभी शहरों ने हजरत अब्बास की शान में कसीदे पढ़े ।

महफिल का संचालन लखनऊ यूनिवर्सिटी के उर्दू डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ अब्बास रजा नैय्यर जलालपुरी ने अपने मकसूस अंदाज में किया गया  जिसमे शायर वसीम खुर्रम ने अपनी शायरी में मौला हजरत अब्बास की शान में तारीफ की उन्होंने कहा हम लोग फरिश्ते के बराबर नहीं आते मौला अब्बास के परचम के तले ,मसहद जलालपुरी में कहां साहिल का यह सन्नाटा बताता है अभी तक अब्बास जहां हो वहां लश्कर नहीं आते।

बुजुर्ग शायर जफर आजमी ने कहा साहिल पर जो अब्बासे दिलावर नहीं आते ,एहसास में फिर प्यास के मंजर नहीं आते ।

शायर नैय्यर जलालपुरी ने अपनी शायरी में कहा यह मिस्र की गलियां मेरा मेयार नहीं है युसूफ तो यहां आते हैं अकबर नहीं आते, इसी क्रम में सभी शायरों ने अपनी अलग अलग शायरी के जरिए हजरत अब्बास की जिंदगी एवं उनकी बहादुरी की प्रशंसा की इस प्रोग्राम की  तकरीर मौलाना कैसर अब्बास ने की महफिल में अन्य शायरों में वसीम खुर्रम मुजफ्फरपुर,शहंशाह मिर्जापूरी,जीशान अकबरपुरी , सलमान ताबिश,अंबर तुराबी ,सहर अर्शी,मशहद जलालपुरी, वकार सुल्तानपुरी, खलील जलालपुरी, रेहान आज़मी ने हजरत अब्बास पर मिसरे-ए- तरह पर कलाम पेश किए !

इस मौके पर मोहम्मद हसन एडवोकेट, हैदर मेहंदी, रागिब रजा,मसूद अली गुफरान सज्जाद अहमद अब्बास आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे बनिए प्रोग्राम ने महफिल में आए हुए तमाम लोगो का शुक्रिया अदा किया!

 

 

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