सत्ता के लोभी नेताओं की मर गई मानवता

सुख-दुख में शामिल होने की बात करने वाले नेता फौजी के मौत पर उनके घर नहीं गए तो चुनाव जीतने के बाद जनता के दुख दर्द में कितना शामिल होंगे

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कौशाम्बी आदर्श नगर पंचायत अझुवा के फौजी घनश्याम पुत्र हरी लाल की फतेहपुर जनपद के खखरेरू थाना क्षेत्र में उसकी ससुराल में 2 दिनों पूर्व हत्या कर दी गई हत्या के बाद पुलिस ने समुचित धाराओं में मुकदमा नहीं लिखा जिससे आक्रोशित परिवार के लोगों ने फौजी घनश्याम के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया दो दिन से घर में शव रखा है लेकिन लोकसभा चुनाव के प्रचार में मदमस्त नेताओं की संवेदना इस तरह से मर गई है कि किसी नेता ने फौजी के घर पर जाकर उसके दुख दर्द को जानने का प्रयास नहीं किया है इन्हें केवल सत्ता का सुख चाहिए सत्ता के लोभी नेताओ को केवल जनता से अपने पक्ष में मतदान की अपील करने में पूरा समय व्यतीत हो रहा हैं आम जनता के सुख-दुख से इन नेताओं को कोई मतलब नहीं हैi

 

मंच से माइक के जरिये केवल लंबी चौड़ी बात करने में इन नेताओं को महारत हासिल है पूरे दिन नेता घूम-घूम कर अपने पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील आम जनता से कर रहे हैं लेकिन किसी दुखी व्यक्ति के दुख में शामिल होने का उनके पास समय नहीं है भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी विनोद सोनकर समेत समाजवादी गठबंधन के प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज भी फौजी घनश्याम के घर नहीं पहुंचे हैं इतना ही नहीं छोटे दल के नेता भी उनके घर नहीं पहुंचे हैं इससे इन नेताओं के संवेदनहीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है आम जनता के सुख-दुख में शामिल होने की बात करने वाले यह नेता जब फौजी के मौत पर उनके घर नहीं गए तो चुनाव जीतने के बाद यह आम जनता के दुख दर्द में कितना शामिल होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता

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