नगरीय निकाय चुनाव : प्रत्याशियों ने किया नामांकन चुनाव को लेकर जिला प्रशासन सतर्क, असमंजस्य में भाजपा और सपा

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जुल्फेकार हुसैन बाबू ब्यूरो चीफ अमन की शान लखनऊ संस्करण

जौनपुर। निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशियों द्वारा निर्धारित कोर्ट में नामांकन किया जा रहा है। जिले के तीन नगर पालिका परिषद व अन्य नगर पंचायत के होने वाले चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। यद्यपि जिले में हो रहे चुनाव के लिए किसी भी दल ने अभी तक अधिकृत प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, इसके बावजूद भावी प्रत्याशी के रूप में नामांकन प्रक्रिया शुरू है। चुनाव को संपन्न कराने के लिये जिला निर्वाचन अधिकारी अनुज कुमार झा और एसपी अजय पाल शर्मा संयुक्त रूप से नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत में सघन दौरा कर रहे हैं। नगर पालिका परिषद जौनपुर में बसपा के अलावा किसी दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।

 

सत्तासीन दल भाजपा, सपा व कांग्रेस के जिम्मेदार लोग प्रत्याशी को लेकर गुणा-गणित करने में जुटे हैं। निवर्तमान अध्यक्ष माया टंडन चुनाव फतह करने के लिये मुहल्लों में जनसंपर्क अभियान तेज करा चुकी हैं। पूर्व नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष दिनेश टंडन और उनके सहयोगी भी पूरी ताकत झोंक दिये हैं। इसी प्रकार जिले की अन्य दो नगर पालिका परिषद शाहगंज और मुंगराबादशाहपुर में नामांकन प्रक्रिया तेज हो गयी है जबकि उक्त दोनों स्थानों पर भी पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी का चयन नहीं हुआ है। नगर पंचायत की बात करें तो शनिवार को वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी अरविंद पटेल कजगांव नगर पंचायत से अध्यक्ष पद के लिये नामांकन किया है।

 

ज्ञात हो कि अरविंद पटेल के पिता अपने क्षेत्र से ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं और अगल-बगल के मुहल्लों में इनकी लोकप्रियता भी है। वहीं कजगांव से अध्यक्ष पद के लिए रिचा सिंह पत्नी रंगीले सिंह, कजगांव के वार्ड नंबर 4 से सभाषद पद के लिए दिव्यांग निसार अहमद ने भी नामांकन पत्र दाखिल किया है।

इनसेट
पत्ता खोलने में क्यों हिलकिंचा रही हैं पार्टियां
जौनपुर। नगर पालिका परिषद जौनपुर जिले का चुनाव महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर 23 वर्ष से बसपा का झंडा बुलंद है। विगत 4 चुनाव में बसपा के दिनेश टंडन और महिला आरक्षित होने पर पत्नी माया टंडन चुनाव फतह कर नगर के प्रथम नागरिक बनते आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में बसपा के सामने सत्तासीन दल से लेकर विपक्षी दल प्रत्याशी चयन करने में गुणा-भाग करने में जुटे हैं। सत्तासीन दल में एक दो नहीं दर्जनों अध्यक्ष पद के दावेदार हैं तो समाजवादी पार्टी उससे कहीं ज्यादा हैं।

 

आगामी 2024 में लोकसभा के चुनाव के दृष्टिकोण से नगरीय चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में प्रत्याशी का चयन करना कठिन है। भाजपा से लेकर सपा तक प्रत्याशी के चयन करने के लिये सभी समीकरणों पर ध्यान दे रही है।

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