दस जिलों की जीवन रेखा सूखने के बेहद करीब है

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  • खोदाई न होने के कारण गाद बिगाड़ रहा गोमती का अस्तित्व
  • जलस्त्रोत सूखने से धीरे-धीरे सिमटने लगा नदी का दायरा
  • जलस्तर गिरावट और कूड़ा से ग्रसित है 930 किमी दायरे की जलधारा

रिपोर्ट जौनपुर धारा विकास सोनी

जौनपुर। 10 जिलों की जीवन रेखा कही जाने वाली गोमती नदी आज तेजी से सूख रही है। कहीं पानी ने नदी का घाट छोड़ दिया है तो कहीं बीच तलहटी में रेत के लंबे-चौड़े टीले उभर आए हैं। पानी की जगह घास उगे हैं और जगह-जगह रेत उड़ रही है। नदी की दयनीय हालत से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के अलावा जलीय जीवों पर संकट मंडराने लगा है। प्रदूषण अतिक्रमण और जलस्त्रोत सूखने से धीरे-धीरे गोमती नदी का दायरा सिमटने लगा है।

सुन्दरीकरण वाले घाट के समीप नगर पालिका द्वारा गिराये गये कूड़े का अम्बार।

पीलीभीत जिले के माधोटांडा के अपने उद्गम स्थल से लेकर खरौना स्थित गंगा नदी के संगम तक दस जिलों से होते हुए अपने 930 किलोमीटर के लंबे सफर में गोमती नदी प्रदूषण, जलस्तर में गिरावट और कूड़ा-करकट के भराव की समस्या से ग्रसित है। जिसके निवारण के लिए नालों को बंद किया जाना बेहद जरूरी है। नदी के जल का मुख्य स्त्रोत भूजल है, जौनपुर में गोमती का पानी घाटों को पहले ही छोड़ चुका है। जो अब तेजी से नीचे जा रहा है जिससे नदी सूखने लगी है। ऐसे में जब सरकार नदियों की स्वच्छता और निर्मलता को लेकर अभियान चला रही है लेकिन वहीं गोमती नदी के अस्तित्व की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।

ताड़तला बजरंग घाट पर नदी सूखने के उपरान्त दिखते रेत।

पिछले कुछ वर्षों से हालात ये हैं कि खेती और गर्मियों के दिनों में जब पानी की एक-एक बूंद को इंसान तरस उठता है, तो वहीं बारिश के दिनों में इनमें भयंकर उफान आता है जो खेतों की मिट्टी को बहा ले जाता है। नदी की खोदाई न होने से एकत्र होने वाली ‘गाद’ ने न केवल इनका स्वरूप ही बिगाड़ दिया है बल्कि जगह-जगह उभरे रेत के टीले नदियों के अस्तित्व पर संकट बने नजर आते हैं। नदियों की जलधारण क्षमता काफी कम हो गई है। इनके प्राकृतिक स्त्रोते समाप्त हो चुके हैं। अब वर्षा काल में ये नदियां कृषि योग्य भूमि के तेजी से क्षरण का कारण बनकर किसानों को दोहरी मार पहुंचाती हैं। भूमि के क्षरण के कारण कृषियोग्य भूमि की उर्वरा शक्ति तो घट ही रही है इसके बंजर होने का खतरा भी मंडराने लगा है। समय रहते नदियों के गाद की सफाई न हुई और भूमि का कटान न रोका गया तो स्थिति भयावह होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

कोढ़ में खास साबित हो रहा घटों पर फैली गन्दगी

स्वच्छ गोमती अभियान के समीप ही बहता नाले का गन्दा पानी व कूड़ा।

जौनपुर गोमती नदी के किनारे जहाँ एक तरफ सुन्दरी करण का कार्य चल रहा है वहीं दूसरी तरफ के पास ही नगर पालिका द्वारा गाजे जा रहे कुड़े कोढ़ में खास उत्पन्न करने का कार्य कर रही है। नगर क्षेत्र के गोमती नदी के घाटों पर ताड़तला बजरंग घाट से सद्भावना पुल के तक नदी के दोनो किनारे पर सुन्दरी करण का कार्य कराया जा रहा है। तो बनकर तैयार होने से पहले ही घटों पर पैâली गन्दगी स्वच्छ गोमती अभियान की हकीकत बयान कर रही है। घटों के किनारे लगे गन्दे पानी से सुन्दरीकरण की दशा खराब हो रही है। प्रशासन को इन बातों पर भी ध्यान देना चाहिये कि यदि बनते समय गन्दगी पर नियंत्रण नहीं लगा तो बनकर तैयार होने के बावजूद भी स्वच्छ गोमती अभियान कागजों तक सिमट कर रह जायेगा।

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