जुलूस छ मोहर्रम अपनी पुरानी रवायत के अनुसार सम्पन्न हुआ

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जौनपुर | नगर के मोहल्ला कटघरा में गुलिस्ता सालो की तरह इस साल भी कदीम जुलूस 6 मोहर्रम का आयोजन किया गया इस तारीखी जुलूस शबीहे अलम मुबारक अपनी पुरानी रवायत के अनुसार मजलिस का सिलसिला ठीक चार बजे मरहूम मिर्ज़ा अबु जाफ़र इमाम चौक पर  शुरू किया गया जिसमे सबसे पहले सोज़ख़्वानी को जनाब महताब साहब व उनके हमनवा ने पेश किया बाद खत्म सोजखानी मजलिस को खिताब किया जनाब मोहम्मद हसन साहब. पूर्व प्रधानाचार्य शिया इण्टर कालेज जौनपुर बाद खत्म मजलिस शबीहे अलम  बरामद हुआ जिसकी हमराह अन्जुमन कौसरिया रिज़वी खॉं रही जुलुस अपने क़दीम रास्तों से होता हुआ चहारसू चौराहा पहुंचा |

 

उसके बाद शहर की तमाम मोकामी अंजुमनों ने नौहा खानी वह  सीनाज़नी के साथ जंजीर और  कमा का मातम करती हुई धीरे धीरे अपने कदीम रास्तों  हरलालका रोड से होते हुए मख़दूमशाह अढ़न की तरफ बढ़ती रही उसके बाद सभी अंजुमन इमाम बारग़ाह कल्लू मरहूम पहुंच कर मोलतावी होती रही है !

 

उसके बाद एक तकरीर होती है जिसे अल्हाज डा कमर अब्बास साहब अपने मक्सूस अंदाज में जनाबे अब्बास और जनाबे सकीना के बारे में मसाएब व फजायाल बयान करते है बाद खत्म तकरीर शबीहे अलम व शबीहे तुर्बत को अलम मुबारक़ से मिलाया जाता है जिस वक्त अलम व तुर्बत का मिलन होता है मौजूदा जायरीनो में कोहराम मच जाता है हाय सकी या अब्बास की सदा गूंजती रहती है !

 

उसके बाद जुलूस अपने कदीम रास्तों से होता हुआ चौक मुख्तार हुसैन मरहूम तक अन्जुमन कौसरिया के हमराह पहुंचता है उसके बाद अपने  क़दीमी रास्तों से होता हुआ मोहल्ला हमाम दरवाज़ा मोहल्ला अजमेरी इमाम बारग़ाह मौलाना शमीम आलम साहब के मकान पर जाकर खत्म होता है |

 

इसी क्रम में मरहूम अंजुम जौनपुरी के मकान पर एक मजलिस का आयोजन होता है बाद खत्म मजलिस शबीहे अलम और शबीहे दुलजाना बरामद होता है जुलूस की हमराह अंजुमन सज्जादिय मुफ्ती मोहल्ला रहती है!

 

 

 

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