मुस्तफा जाने रहमत पर लाखों सलाम ईद-ए-मिलाद : दुल्हन की तरह सजा शहर

धर्म सिर्फ इंसानियत और मानवतावाद का संदेश देता है : पूर्व सांसद धनंजय सिंह

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जुल्फेकार हुसैन (जेड हुसैन)
जौनपुर। जिले का ऐतिहासिक (बारावफात) ईद ए मिलाद का जलसा और जुलूस अपनी परंपरा के अनुसार मनाया गया। इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद स.अ. के जन्मोत्सव को इस्लामिक कैलेंडर हिजरी के अनुसार 12 रबीउल अव्वल को मनाया गया।

जौनपुर शहर में एक ऐतिहासिक जलसा व भव्य जुलूस का आयोजन हुआ। कौमी यकजहती का एक प्रोग्राम किदवई पार्क में कोतवाली के सामने हुआ जिसमे शहर के तमाम गणमान्य लोग सम्मिलित हुए,कार्यक्रम की शुरुआत कारी यासिर हस्सान ने कलामे इलाही से किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि धनंजय सिंह रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहाकि धर्म सिर्फ इंसानियत और मानवतावाद का संदेश देता है।

दुनिया में प्रेम था, और प्रेम हमेशा ही रहेगा। नफरत की जगह कहीं न थी न रहेगी। जुलूस अपनी परंपरा के अनुसार शाही ईदगाह के मैन गेट से उठा उसको हरी झंडी दिखा कर सदर शौकत अली मुन्ना और अरशद खा तथा निखलेश सिंह ने संयुक्त रूप से रवाना किया जुलूस देर रात अपने पूरे शानो शौकत से शाही अटाला मस्जिद पर पहुंचकर एक जलसे के रूप में तब्दील हो गया,इस बीच रास्ते भर विभिन्न अखाड़े अपने-अपने हुनर का मुजाहेरा किए वहीं विभिन्न प्रकार की अंजुमन नातिया कलाम सुनाती हुई रात भर शहर को गुलजार करती रही, शहर को रंग बिरंगी झालरों, लाइट बत्ती वह झंडों से सजाया गया,जिले के ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों के भी लोग उक्त ऐतिहासिक मेले में आए और सभी समुदाय के लोग मिलजुल कर इस ऐतिहासिक दिन में शामिल हुए।

इस मौक़े पर रियाजुल हक ने बताया की हजरत मोहम्मद सल्ललाहों अलैह व सल्लम का जन्म अरब के मक्का शहर में 570 ईस्वी में हुआ था और 8 जून 632 ईस्वी में उनकी वफात हुई थी वह एक ईश्वरवाद में विश्वास रखते थे और इस्लाम धर्म के पहले पैगंबर आदम से लेकर इस श्रृंखला में इब्राहिम,मूसा, ईशा आदि पैगंबरों की तरह वह इस्लाम के आखिरी पैगंबर हैं। और उन्होंने पूरी दुनिया को एक ईश्वर और निराकार ईश्वर का संदेश दिया जिसको पूरी दुनिया में उनके फॉलोअर मानते है। वही डॉक्टर कमर अब्बास ने कहा की हुजूर सबके लिए रहमत बनकर आए है तो उनके मानने वाला किसी के लिए जहमत कैसे बन सकते है। पी सी विश्वकर्मा सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने वक्तव्य हजरत मोहम्मद की सीरत पर बयान किए। कार्यक्रम का संचालन नेयाज ताहिर शैखू और आरिफ ने संयुक्त रूप से किया,वही एक जलसा शाही ईदगाह के प्रांगण के अंदर भी हुआ जिसमे शोएब खान अच्छू,हाजी इमरान,कमालुद्दीन, तबरेज, ताज मोहम्मद आदि मौजूद रहे।

 

इस मौके पर शाहिद मंसूरी,एकराम सौदागर, फिरोज़ अहमद पप्पू ,सरताज अहमद सिद्दीक़ी, मोहम्मद शकील माज़ राइन,शोएब पठान,हाजी सैयद फऱोग,शोएब अहमद समीर,ताजुद्दीन शोबी उस्मान राइन, डॉ अर्शी नवाज़, नासिर सिद्दीकी,अब्दुल शफीक ख़ान,शहाबुद्दीन विधार्थी, दानिश इकबाल, शीराज अहमद,फैस़ल उस्मान, नबी अहमद,एकराम मुन्ना प्लाई, रेयाजुद्दीन अल्वी, मेराज ख़ान,मो. अली, दिलदार अहमद, अहमद,मोशअज़ीम,फैयाज़ सौदागर,सरताज,सलमान मलिक, अदनान, सलीमुल्लाह आदि लोग मौजूद रहे।

 

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